दोस्तों मैं आपके लिये एक free hindi sexy kahani लेकर आया हूं मैं इस vasna sex stories की नयी साईट पर अपने एक पाठक की भेजी हुई कहानी बताने जा रहा हूं उम्मीद है आपको यह free hindi sexy kahani अच्छी लगेगी
Free Hindi Sexy Kahani 1
उस पाठक महोदय ने अपने अंदाज़ में कहानी लिख कर भेजी थी मगर मैंने उसे सिर्फ उनसे पूछ पूछ कर इस कहानी को थोड़ा और रोचक बनाया है लीजिये पढ़िये
दोस्तो मेरा नाम रत्न लाल है मेरी उम्र इस वक्त 50 साल की है मैं मेरी पत्नी और मेरा बेटा बस यही मेरा परिवार है अभी कुछ समय पहले मेरी पत्नी की एक सहेली बनी
वो औरत हमारे मोहल्ले की दूसरी गली में रहती है दोस्ती की वजह यह हुई कि मेरी पत्नी और उस औरत दोनों का नाम रूपा है उस औरत रूपा के दो बेटियाँ है
बड़ी बेटी दिव्या 20 साल की है और छोटी बेटी रम्या 18 साल की है छोटी लड़की तो पतली दुबली सी सांवली सी है बड़ी लड़की दिव्या भी पतली है मगर वो गोरी है देखने में भी सुंदर है और अभी बी.ए कर रही है
रूपा का पति पहले तो यहीं रहता था और दोनों मियां बीवी छोटे मोटे काम करके अपना गुज़ारा करते थे तो घर के हालात कुछ खास अच्छे नहीं थे
फिर रूपा के पति को विदेश जाने का मौक़ा मिला तो वो पैसा कमाने विदेश चला गया वैसे तो हमारा एक दूसरे के घर आना जाना हो जाता था
मगर जब रूपा का पति विदेश चला गया तो मुझे रूपा कुछ विशेष लगने लगी हालांकि रंग रूप में या शारीरिक बनावट में वो मेरी पत्नी के मुक़ाबले कहीं भी नहीं ठहरती थी मगर पराई औरत तो पराई औरत ही होती है
अच्छी न भी हो तो भी बस उसके मम्में उसकी गांड उसकी चूत आपको अपनी ओर आकर्षित करती ही करती है मेरे मन में भी कई बार इस बात का ख्याल आया कि रूपा को थोड़ा टटोल के देखूं पति इसका पास में नहीं
तो रात को ये भी तो बिस्तर पर करवटें बदलती होगी अगर किसी तरह से बात बन गई तो अपने को बाहर मुंह मारने का मौका मिल जाएगा हालांकि मैं उसके घर कम जाता था
मैं तो अपने काम धंधे में ही बिज़ी रहता था मगर कभी कभार आना जाना हो जाता था या कभी कभी वो भी आ जाती थी अब मेरी बीवी के साथ उसका अच्छा दोस्तना था वो मेरी बीवी को दीदी और मुझे जीजाजी कहती थी
मगर मैंने कभी उसके साथ साली कह कर कोई हंसी मज़ाक नहीं किया मैं थोड़ा रिज़र्व ही रहता था हां उसकी बेटियों के साथ मैं हंस बोल लेता था
पति के विदेश जाने के बाद उसने घर के कई कामों में कई बार मेरी मदद भी ली मगर मैंने खुद आगे बढ़ कर कभी कुछ नहीं किया मेरे और रूपा के बीच मेरी पत्नी हमारी कड़ी थी सारा काम बातचीत मेरी पत्नी के द्वारा ही होती थी
मगर एक बात जो मैं नोटिस कर रहा था कि रूपा का व्यवहार अब बदलने लगा था जब भी मौका मिलता उसे वो मुझे जीजाजी कह कर खूब हंसी मज़ाक कर लेती
मुझे अक्सर लगता कि वो अपनी आंखों से अपनी बातों से अपने हाव भाव से यह जता रही थी कि जीजाजी हिम्मत करो और मुझे पकड़ लो मैं आपको ना नहीं करूंगी
मगर मैं अपनी पत्नी के सामने होते उसे कैसे पकड़ सकता था समझती वो भी थी कि जब तक हम अकेले नहीं मिलते तब तक कोई भी संबंध हमारे बीच नहीं बन सकता था मगर अकेले मिलने का कोई भी मौका हमें नहीं मिल रहा था
हमारी दोस्ती या यूं कहो कि दिल में छुपा हुआ प्यार इसी तरह चल रहा था अपने अपने मन में हम दोनों तड़प रहे थे मैं कम तड़प रहा था वो ज़्यादा तड़प रही थी
वो कई बार कह भी चुकी थी जीजाजी आपके पास कार है मुझे कार चलानी सिखाइए जीजाजी किसी दिन अपन दोनों कोई फिल्म देखने चलते हैं
मेरी तो इच्छा है कि बरसात हो रही हो और हम दोनों जीजा साली कहीं दूर तक गाड़ी में घूम कर आयें ये सब बातें वो बातों बातों में मेरी पत्नी के सामने कह चुकी थी
ऐसी ही बातों से मेरे दिल में ये विचार आए कि शायद ये मुझसे अकेले मिलने का बहाना ढूंढ रही है फिर एक दिन उसने और बड़ा ब्यान दाग दिया हुआ यूं कि हम बाज़ार गए थे
वहीं वो भी मिल गई अपनी दोनों बेटियों के साथ तो औपचारिकतावश हमने उन्हें शाम के खाने का न्योता दिया वो झट से मान गई हम एक मिठाई की दुकान में गए ऊपर उनका ही रेस्टोरेन्ट बना था
सब कुछ शाकाहारी था हमने वहां बैठ कर खाना खाया अब उसकी बड़ी बेटी मेरे साथ बैठी जबकि रूपा उसकी छोटी बेटी और मेरी पत्नी मेरे सामने बैठी दिव्या वैसे भी मेरे से बहुत स्नेह करती थी
हम दोनों चुपचाप बैठे खाना खा रहे थे वो रूपा बोली देखो दोनों कैसे बिल्कुल एक ही स्टाइल से खाना खा रहे हैं जैसे दिव्या आपकी ही बेटी हो
मैंने कहा – हां मेरी बेटी है
अब मैं और क्या कहता
मगर तभी रूपा बोली – आपकी कैसे हो सकती है हम कभी मिले तो है नहीं ?
मैं तो सन्न रह गया मिले नहीं मतलब सेक्स नहीं किया
मैंने सोचा – अरे भाई ये तो चुदवाने के चक्कर में है और मैं यूं ही शराफत में मारा जा रहा हूं
मगर उस वक्त मैंने सिर्फ हाथ उठा कर आशीर्वाद देने का ढोंग कर दिया कि दिव्या तो मेरी आशीर्वाद से पैदा हुई बेटी है
तो दिव्या बोली – मौसा जी अगर आप बुरा न माने तो मैं आपको पापा कह लिया करूँ
अब उस बेटी की यह नन्ही सी प्यारी सी गुजारिश को मैं ना नहीं कर सका मैंने कहा हां बेटा मुझे तो खुशी होगी मेरी कोई बेटी नहीं तुम मेरी बेटी बन जाओ
उस दिन के बाद दिव्या मुझे हमेशा पापा ही कहती मगर छोटी बेटी कभी पापा तो कभी मौसा जी कह देती थी उसके साथ मेरा रिश्ता ठीक ठाक सा ही था क्योंकि वो चुप ज़्यादा रहती थी
फिर एक दिन दिव्या ने मुझसे मेरा फोन नंबर मांगा उसके बाद वो मुझे कभी कभी फोन भी करती सुबह शाम को कभी कभी मैसेज भी करती और मैं भी उसे अच्छे अच्छे मैसेज भेज दिया करता था जैसा कोई भी बाप बेटी करते हैं
एक दिन मैं और मेरी पत्नी उनके घर गए तो उस दिन रविवार था और वो सब लोग सर के बाल धोकर बैठे थे फिर दिव्या तेल ले कर आई और तीनों माँ बेटी एक दूसरी के सर में तेल लगाने लगी
मैंने भी बैठे ने यूं ही कह दिया – अरे वाह दिव्या बहुत बढ़िया से तेल लगाती हो तुम तो
वो बोली – पापा आपके भी लगा दूं ?
मैंने कहा – हां लगा दो
जब उनका निबट गया तो दिव्या तेल की शीशी लेकर मेरे पास आई मैं उनके दीवान पर बैठा था वो मेरे पीछे आई और कटोरी से तेल लेकर मेरे बालों में लगाने लगी आह्ह ओह्ह्ह आह्ह कितना आनंद आया जब बेटी पिता के सर में तेल लगाये अपने नर्म नर्म हाथों से
रूपा बोली – अरे जीजाजी मैं लगा दूं आपके तेल ?
उसकी बात में एक तंज़ मैं समझ गया मगर मैंने कहा अजी नहीं शुक्रिया बिटिया बहुत बढ़िया लगा रही है
उसके बाद उनके घर ही हमने खाना खाया और जब वापिस आए तो अपनापन दिखाने के लिए रूपा ने पहले मुझे नमस्ते बोली और फिर आगे बढ़ कर मुझे आलिंगन भी किया
मगर उसने आलिंगन करते हुये अपना मम्मा मेरी बगल से अच्छे से रगड़ दिया और मेरी तरफ देख कर शरारत से मुस्कुराई वो मुझे साफ से साफ इशारे कर रही थी कि आओ मुझे पकड़ो मगर मैं ही ढीला चल रहा था
मैंने सोचा कि अब अगर एक भी मौका और मिला तो मैं रूपा से बात कर लूंगा फिर एक दिन मौका मिला वो हमारे घर ही आई हुई थी मेरी बीवी रसोई में थी
मैंने पूछा – अरे रूपा तुमने मेरा मोबाइल नंबर लिया था पर कभी फोन तो किया नहीं ?
वो बोली – आप तो वैसे ही कम बात करते हो क्या पता फोन पर बात करो भी या नहीं
मैंने कहा – अरे नहीं मैं तो बल्कि इंतज़ार कर रहा था कि कभी हैलो हाई नमस्ते गुड मॉर्निंग आई लव यू कुछ तो मैसेज करो
वो मेरी बात सुन कर बहुत हंसी बोली अच्छा अब करूंगी और अगले ही दिन सुबह उसका मैसेज आया गुड मॉर्निग का जवाब में मैंने भी उसको गुड मॉर्निग का मैसेज भेजा और दिन में ही हम दोनों ने बहुत सारे व्हाट्सअप पर एक दूसरे को मैसेज कर दिये
जितना मैं खुल कर चला वो उससे भी ज़्यादा खुल कर चली और अपने जीजा साली के रिश्ते की सारी मान मर्यादा तोड़ कर हम दोनों ने एक दूसरे को खुल्लम खुल्ला प्यार का इज़हार तक कर दिया
यहां तक के उसने ये भी कह दिया कि अगर आप न कहते तो मैं खुद ही कहने वाली थी अब जब प्यार का इज़हार ही हो गया तो और क्या बाकी रहा
वो पूरी तरह से मेरे साथ सेट हो चुकी थी मन में खुशी के लड्डू फूट रहे थे कि यार कमाल हाई 50 साल की उम्र में भी माशूक पटा ली उसके बाद तो अक्सर हम फोन पर बाते करते दो तीन दिन में ही बातें शीशे की तरह साफ हो गई
दोनों ने एक दूसरे से कह दिया कि अब जिस दिन भी मिलेंगे अकेले में मिलेंगे और उसी दिन हम सभी हदें पार कर जाएंगे
मैंने सोचा अब माशूक के पास जाना है तो पूरी तैयारी के साथ जाया जाए बुधवार की मैंने अपने काम से पहले ही एक दिन की छुट्टी ले ली थी
मगर मंगलवार को मैंने कुछ और काम भी किया मैंने एक गोली खा ली यह गोली खाने से आप जब कहो तब आपका लंड आपके इशारे पर खड़ा हो जाता है और वो भी पूरा कड़क पत्थर की तरह सख्त
बस इतना ज़रूर है कि ये गोली यूरिक एसिड बढ़ा देती है मगर इसका असर 2-3 दिन रहता है बुधवार की सुबह मैंने एक चने के आकार की गोली अफीम की कड़क चाय के साथ निगल ली
अब सफ़ेद गोली लंड को खड़ा रखने के लिए और काली देर तक न झड़ने के लिए हमारा 11 बजे मिलने का प्रोग्राम था मगर मैं 10 बजे से पहले ही हर तरह से तैयार था
करीब 11 बजे मैंने रूपा को फोन करके पूछा – हां जी क्या हाल हैं साली साहिबा ?
वो बोली – बहुत बढ़िया आप सुनाओ
मैंने पूछा – मैं तो सोच रहा था सुबह सुबह आपके दर्शन हो जाते तो सारा दिन बढ़िया गुज़रता
वो उधर से बोली – तो आ जाइए किसने रोका है आपका ही घर तो है
मैं तो उड़ता हुआ उसके घर पहुंचा गेट खोल कर अंदर गया अंदर घर में वो रसोई में कुछ कर रही थी मैंने आस पास देखा घर में और किसी के होने की आहट नहीं थी मगर फिर भी मैं रसोई में गया उस से नमस्ते की उसका बच्चों का हाल चाल पूछा
फिर पूछा – बच्चे कहां हैं
वो बोली – बड़ी कॉलेज छोटी स्कूल बस घर में मैं अकेली हूं
मतलब जो मैं पूछना चाहता था वो उसने खुद बता दिया वो गैस पर चाय बना रही थी मैं उसके पीछे जा कर खड़ा हो गया दिल तो कर रहा था कि इसे पीछे से ही बांहों में भर लूं
मगर फिर भी दिल में एक डर सा था फिर भी मैंने हिम्मत करके उसको अपनी बांहों में भर लिया
वो एकदम से चौंकी – अरे जीजाजी ये क्या कर रहे हो ?
वो गुस्सा नहीं हुई तो मेरी भी हिम्मत और बढ़ गई मैंने झट से उसकी गर्दन पर एक दो चुंबन जड़ दिये और उसे कस कर अपने से चिपका कर बोला उम्म्ह आह्ह हाय ओह्ह्ह मेरी रूपा
अब सब्र नहीं होता यार और मैंने उसकी गर्दन कंधो को चूमते हुये उसका चेहरा घुमाया और उसके गाल पर भी चूम लिया
वो मुस्कुरा कर बोली – आप तो बड़े बेशर्म हो छोटी साली तो बेटी जैसी होती है
मैंने थोड़ी और बदतमीजी की और उसके दोनों मम्में भी पकड़ लिए और दबा कर बोला साली आधी घर वाली होती है
जब उसके मम्में दबाये तो उसने हल्की सी चीख मारी मगर ये चीख आनंद से ओत प्रोत थी दो प्यासे जिस्म घर में कोई नहीं मैंने उसे अपनी और घुमाया और उसे फिर से कसके अपनी बांहों में जकड़ा और उसके होंठों को चूम लिया
जैसे ही होंठों से होंठ मिले उसने पीछे को हाथ घुमा कर गैस बंद कर दी और फिर उसने भी मुझे अपनी आगोश में कस लिया
जितना मैंने उसके होंठ चूसे उतना ही वो भी मुझे चूस रही थी बल्कि वो तो मेरे नीचे वाले होंठ को काट रही थी चबा रही थी बेशक ये मेरे लिए थोड़ा दर्दनाक था मगर इसमे मज़ा भी बहुत आ रहा था
एक प्यासी औरत कामरस की बारिश में भीगने को आतुर थी मैंने उसकी पीठ को भी अपनी मुट्ठियों में ऐसे भींचा जैसे मैं उसके मम्में दबा रहा होऊँ
फिर उसकी एक टांग उठा कर पास की तिपाई पर रख दी और फिर उसका वो चूतड़ और जांघ को मैंने खूब सहलाया और उसके चूतड़ पर खूब सारे हाथ भी मारे
उसके बर्ताव से लग रहा था कि वो मुझे चूस चूस कर ही झाड़ देगी मगर अब आगे बढ़ने का वक्त था मैंने उसे अपनी गोद में उठाया और हाल में ले गया
हाल में बिछे दीवान पर मैंने उसे लेटाया और खुद भी उसके ऊपर ही लेट गया उसने खुद ही अपने हाथ अपने सर के पीछे ऊपर को फैला दिये
जब मैं उसके ऊपर लेटा तो उसने अपनी टांगें फैला कर मेरे जिस्म को अपनी जांघों में जकड़ लिया एक औरत का पूर्ण समर्पण था ये हाथ पीछे ताकि मैं उसके चेहरे उसके स्तनों के साथ कुछ भी कर सकूं
टांगें पूरी खुली ताकि मैं उसकी जांघों उसकी चूत के साथ कुछ भी कर सकूं मैंने उसके दोनों मम्मों को अपने हाथों में पकड़ा वो वैसे ही शांत बहती हुई नदी की तरह मुझे देख कर मंद मंद मुस्कुरा रही थी
मैंने उसके मम्में दबाये हिलाये ऊपर को उठा कर उसका बड़ा सारा क्लीवेज उसकी कमीज़ के गले से बाहर निकाल कर देखा
एक शानदार क्लीवेज जिसे मैंने अपनी जीभ से ही चाट लिया और फिर अपने दांत से ज़ोर से काट कर उसके मम्में पर अपने दांतों का निशान बनाया
वो बोली – अरे दर्द होता है जीजाजी ये क्या किया देखो निशान भी डाल दिया
मैंने कहा – इसी लिए तो काटा है मेरी जान ताकि कल को परसों को जब भी तू नहाएगी इस निशान को देखेगी तो मुझे याद करेगी
वो बोली – तो फिर एक निशान क्यों सारे बदन पर निशान बनाओ
मैं उसकी बात सुन कर मुस्कुरा दिया वो भी हंस दी मैंने उसकी कमीज़ ऊपर उठाई और उतार ही डाली हल्के गुलाबी रंग की ब्रा पहनी थी बदन के गेहुएं गेहुंए रंग पर गुलाबी ब्रा अच्छी लगी
मैंने उसके हुक खोले और ब्रा भी उतार दी दो मोटे गोल मम्में जिन पर गहरे भूरे रंग के दो उभरे हुये निप्पल उसके नंगे मम्में मैंने अपने हाथों में पकड़ कर दबा कर देखे वो फिर से लेट गई
मैं भी उसके ऊपर झुक गया मगर उसके मम्मों से खेलने के लिए वो मेरे सर के बालों को सहलाने लगी और मैं उसके मम्मों को चूसने लगा
बाकी hindi sex story अगले भाग में पढ़े
Vasna Hindi Sex Story :- बीवी की सहेली और बेटी – 2