आप ने hindi sex story के पिछले भाग में पढ़ा मैंने कहा देखो बेटा अब तुम बड़ी हो गई हो सब दुनियांदारी समझती हो तो मैं तुम्हारे सामने ये बात कबूल कर सकता हूं कि हां मुझे तुम्हारी मम्मी से मोहब्बत है अब आप free hindi sexy kahani में आगे पढ़े
Free Hindi Sexy Kahani 3
वो लड़की एकदम से मेरे से लिपट गई बस पापा आप मेरी मम्मी को कभी मत छोड़ना वो आपसे बहुत प्यार करती है मैंने मम्मी से पूछ लिया था वो आपको बहुत चाहती हैं वादा करो आप मम्मी को कभी धोखा नहीं दोगे
अब उसका दिल मैं कैसे तोड़ सकता था मैंने भी वादा कर दिया कि मैं उसकी मम्मी को कभी धोखा नहीं दूंगा पर सच्चाई ये थी कि इस रिश्ते की तो बुनियाद ही धोखे पर रखी गई थी
अगर मैंने अपनी ब्याहता पत्नी को धोखा दिया तब तो रूपा के साथ मेरे संबंध बने मगर मेरे इस झूठे वादे ने मेरे लिए उस घर में नए दरवाजे खोल दिये उसके बाद तो मैं पूरी तरह से ही उस घर का सदस्य बन गया
अब लड़कियों के ज़िद करने पर मैं हर रोज़ उनके घर जाता चाहे थोड़ी देर के लिए ही सही दोनों लड़कियां मुझे बहुत प्यार करती अब उनके सामने ही मैं रूपा से हंसी मज़ाक कर लेता उसे बांहों में भर लेता कभी कभी चूम भी लेता
दोनों लड़कियां हमारे इस प्रेमालाप की साक्षी थी और वो दोनों ये देख कर बहुत खुश होती कि उनकी मां को भरपूर प्यार मिल रहा है
फिर एक दिन मेरी पत्नी ने कहा कि वो कुछ दिनो के लिए अपने मायके जाना चाहती है मैंने क्या मना करना था दोनों मां बेटा 3-4 दिन के लिए चले गए
जिस दिन वो गए उसी दिन मैंने रूपा को फोन पर कह दिया कि मेरी पत्नी मायके गई है 3 दिन के लिए अगर कहो तो तुम्हारे घर रहने आ जाऊं उसने कहां मना करना था उसी शाम अपने दफ्तर से मैं सीधा रूपा के घर गया
पहले शाम की चाय पी उसके बाद उसे और लड़कियों को लेकर बाज़ार गया सब घुमाया बाहर ही खाना खिलाया खूब मज़े कर के हम घर वापिस आए
तो अब वक्त आया सोने का अभी रूपा थोड़ा झिझक रही थी कि अपनी लड़कियों के सामने वो किसी और मर्द के साथ सोने के लिए कैसे जाए
मगर दिव्या ने खुद ही उसे कह दिया – मम्मी आज आप पापा के साथ सो जाओ बेशक कुछ शर्माती कुछ सकुचाती मगर रूपा मेरे बेडरूम में आ गई
मैंने दरवाजा बंद कर लिया और दरवाजा बंद करके रूपा को अपनी बांहों में भर लिया बस बांहों में भरने की देरी थी कि रूपा भी पूरी शिद्दत से मुझसे लिपट गई
सबसे पहले हम दोनों ने अपने कपड़े उतारे और सीधा बेड पर लेटते ही मेरा लंड उसकी चूत में घुस चुका था उम्म्ह आह्ह हाय ओह्ह आज तो जैसे हमारी सुहागरात थी आज मेरी भी इच्छा थी कि साली रूपा की अच्छे से भोंसड़ी मारूँ
अब मेरी आदत थी बिना तैयारी के तो मैं रूपा के पास जाता नहीं था तो आज भी पूरी तैयारी के साथ आया था तीन चार मिनट की चुदाई में रूपा का पानी झड़ गया
मगर जब उसका पानी झड़ा तो वो खूब तड़पी खूब चिल्लाई खूब शोर मचाया बिना इस बात की परवाह किए कि साथ वाले कमरे में लेटी उसकी दो जवान बेटियां क्या सोचेंगी कि मम्मी की क्या ज़बरदस्त चुदाई हो रही है
मगर बात सिर्फ यहीं तक नहीं रुकी उस रात हम दोनों नहीं सोये अगर सोये तो थोड़ी थोड़ी देर के लिए जब भी जिसकी भी नींद खुलती वो दूसरे को जगा लेता और फिर चुदाई शुरू हो जाती
उस रात मैंने तीन बार रूपा को चोदा और वो तो शायद 6-7 बार स्खलित हुई और हर बार उसने बिना किसी शर्म के खूब शोर मचा कर अपनी चुदाई का प्रदर्शन किया सुबह 5 बजे हम सोये
जब मेरी आंख खुली तो उस वक्त साढ़े दस बज रहे थे रूपा बिस्तर पर नहीं थी मगर रात को मैंने जो उसका ब्रा और पेंटी उतार के फेंकी थी तो अभी भी फर्श पर पड़े थे बेशक मैं चादर लेकर लेटा था
मगर चादर के अंदर तो मैं बिल्कुल नंगा था और सुबह सुबह मेरा लंड भी पूरा अकड़ा हुआ था तभी कमरे में दिव्या आई और मुझे गुड मॉर्निग पापा बोल कर चाय का कप मेरे सिरहाने रखा
एक बार तो मुझे बड़ी शर्म आई अरे भाई अपनी बेटी के सामने मैं नंगा था और मेरे तने हुये लंड ने चादर को तम्बू बना रखा था जो दिव्या ने देख भी लिया था
चाय रख कर दिव्या ने फर्श पर पड़े अपनी मम्मी के ब्रा पेंटी उठाए और चली गई मैं चाय पीते सोचने लगा ये लड़की क्या सोच रही होगी कि इसके मां को कोई गैर मर्द सारी रात चोदता रहा
रूपा की चीखें सिसकारियां सब इसने भी तो सुनी होगी मगर मैंने इस बात को अनदेखा कर दिया चाय पीकर मैं उठा और बाथरूम में चला गया नहा कर तैयार होकर मैं नीचे आया तो रूपा पूरी तरह से नहा धोकर सज संवर कर तैयार खड़ी थी
मेरे आते ही उसने अपनी बेटियों के सामने मेरे पांव छूये उसके बाद उसने नाश्ता लगाया हम चारों ने नाश्ता किया मगर मैंने देखा दोनों लड़कियों के चेहरे पर एक शरारती मुस्कान थी
उस दिन मेरी छुट्टी थी तो उस दिन दोपहर को भी मैंने एक बार रूपा को चोदा रात को फिर वही सब कुछ हुआ अभी रम्या कुछ शांत थी मगर दिव्या इस बात से बहुत खुश थी वो अपनी खुशी की इज़हार मुझे कई बार चूम कर चुकी थी
हर वक्त पापा पापा करके मेरे आस पास ही रहती थी उससे अगले दिन दिव्या मेरे सर में तेल लगा रही थी मैं अपने मोबाइल पर कुछ देख रहा था
जब वो तेल लगा चुकी तो मैंने लेटना चाहा तो दिव्या ने अपनी गोद में ही मेरा सर रख लिया मुझे इसमें कुछ अजीब नहीं लगा
मैं बेखयाली में ही अपने मोबाइल में बिज़ी रहा कि अचानक दिव्या ने मेरे होंठ चूम लिए मैं एकदम से चौंक कर उठा
मैं बहुत हैरान था – दिव्या ये क्या किया तुमने ? मैंने उससे पूछा
वो बोली – आप मम्मी से इतना प्यार करते हो तो मैंने सोचा मैं आपका शुक्रिया कैसे अदा करूँ
वो थोड़ा डरी हुई सी लगी
मैंने कहा – पर बेटा ये सब तो तुम्हारी मम्मी मुझे दे ही रही है तुम्हें अलग से कुछ करने या देने की ज़रूरत नहीं है
वो बोली – क्यों पापा क्या मैं आपको अपनी तरफ से कुछ नहीं दे सकती ?
मैंने कहा – पर बेटा होंठों का चुम्बन तो उसके लिए होता है जिसे आप बहुत ज़्यादा प्यार करते हो वो इंसान आपकी बॉय फ्रेंड या पति हो
दिव्या पहले तो चुप सी कर गई फिर थोड़ा भुन्नाती हुई उठ कर जाती हुई बोली आपकी मर्ज़ी आप जो भी समझो
मेरे तो गोटे हलक में आ गए कि अरे यार ये क्या हो रहा है ये कल की लड़की भी देने को तैयार है अब मेरे सामने दिक्कत यह थी कि शुरू से ही मैं दिव्या को अपनी बेटी कहता और समझता आया हूं तो उसके साथ ये सब ? नहीं नहीं ऐसे कैसे हो सकता है ? उसे मैं समझाऊंगा
उसके बाद मैंने 2-3 बार दिव्या को समझाने की कोशिश करी मगर इसका उल्टा ही असर हुआ और दिव्या ने ही खुद ही इकरार कर लिया कि वो मुझसे प्यार करती है
मैंने कहा भी – पर तुम तो मुझे पापा कहती हो ?
वो बोली – ओके आज बाद नहीं कहूंगी
मैंने बहुत समझाया मगर वो लड़की ज़िद पर ही अड़ गई मैंने उसे ये भी कहा तुमने तो मुझसे वादा लिया था कि मैं तुम्हारी मम्मी से कभी धोखा नहीं करूंगा और अब तुम ही उस वादे को तोड़ने के लिए मुझे उकसा रही हो ?
मगर लड़की नहीं मानी और बोली भाड़ में जाए मम्मी आई लव यू तो मतलब आई लव यू मेरे लिए बड़ी कश्मकश थी मगर फिर मैंने सोचा यार क्यों किसी का दिल दुखाऊं ? कौन सा मेरी अपनी बेटी है और कौन सा मैं उसका असली बाप हूं
असली बाप असली होता है और नकली बाप नकली होता है बस ये विचार मन में आए और अगले ही पल मुझे वो 19 साल की अपनी बेटी सेक्स के लिए पर्फेक्ट लगने लगी
मुझे एक ही पल में रूपा के बदन में बहुत सी कमियां और दिव्या के कच्चे बदन में खूबियां ही खूबियां दिखने लगी उसके बाद जब भी मैं रूपा के घर जाता और दिव्या मुझसे गले मिलती
तो मैं जानबूझ कर उसे अपने जिस्म से सटा लेता ताकि उसके नर्म नर्म मम्में मेरे सीने से लगे और मुझे उसके कोमल कुँवारे जिस्म की गंध सूंघने को मिल सके
रूपा समझती थी कि ये बाप बेटी का प्यार है मगर अब मेरी निगाह रूपा की बेटी के लिए बदल चुकी थी इस बीच एक दो बार मौका मिला जब मैं रूपा दिव्या और रम्या को अपने साथ घुमाने के लिए ले गया
बेशक रूपा और लड़कियों ने जीन्स पहनी थी मगर फिर भी मैंने बाज़ार में घूमते हुये दिव्या से कहा- जीन्स तो सब लड़कियां पहनती थीं मगर आजकल तो निकर का फैशन है
वो चहक कर बोली – तो पापा ले दो मुझे भी एक निकर
मैं उन्हें एक दुकान में ले गया वहां मैंने सबको जीन्स ले कर दी मगर दिव्या के लिए खुद एक निकर पसंद की जब वो ट्राई रूम से निकर पहन कर बाहर निकली
तो मैंने उसकी गोरी गोरी खूबसूरत जांघों को घूरते हुये कहा बेटा निकर तो ठीक है मगर इसे पहनने के लिए तुम्हें अपनी वेक्सिंग भी करवानी होगी
वो बोली – ये कौन सी बड़ी बात है वो तो मम्मी भी कर देंगी
हालांकि दिव्या की टांगों पर कोई ज़्यादा बाल नहीं थे मैंने उसे निकर पहन कर ही चलने को कहा बाज़ार में बहुत से लोग उसे निकर में देख कर घूरते हुये जा रहे थे
वो मुझसे बोली भी – पापा सब मेरी टांगे ही घूर रहे हैं
मैंने कहा – तू परवाह मत कर ये सब बस यही कर सकते हैं घूरते हैं तो घूरने दे बल्कि तू यह सोच कि अगर तुम में कुछ खास बात है तभी तो ये सब तुम्हें इतने ध्यान से देख रहे हैं
मेरी बात का दिव्या पर असर हुआ और काफी उन्मुक्त हो कर बाज़ार में घूमी और घर आ कर मुझे लिपट कर मेरे गाल पर चूम कर बोली- सच में पापा आज जितना मज़ा बाज़ार में घूम कर आया पहले कभी नहीं आया
मैंने मन में सोचा अरे पगली मैं तो तुझे दाना डाल रहा हूं तुझे इतना बिंदास बना रहा हूं कि एक दिन या तो तो तू मुझसे चुदेगी या फिर अपना कोई ना कोई यार पटा लेगी और उससे अपनी चूत मरवा कर आएगी
मैं तो तुझे एक तरह से बिगाड़ रहा हूं मगर वो नादान कहां मेरी कुटिल चालों को समझ रही थी और रहा सवाल उसकी मां का उसकी चूत में तो हर हफ्ते मैं अपना लंड फेरता था तो वो उस बुनतारे में उलझी थी
उसे भी नहीं पता था कि मैं ना सिर्फ उसे बल्कि उसकी जवान हो रही बेटी पर निगाह रखे हूं कि कब वो मेरे से चुदवाए मेरी कोशिशें रंग ला रही थी दिव्या मेरे और करीब और करीब आती जा रही थी
बढ़ते बढ़ते बात यहां तक बढ़ गई कि बातों बातों में मैंने उसे यह बात बता दी थी कि मुझे उसका प्यार मंजूर है एक दिन मौका मिला जब मैं और दिव्या अकेले बैठे थे
तो मैंने दिव्या से कहा – दिव्या एक बार कहूं ?
वो बोली – हां पापा ?
मैंने कहा – यार उस दिन जो तुमने किस किया था बहुत छोटा सा था मज़ा नहीं आया एक और मिलेगा ?
दिव्या ने शर्मा कर मेरी और देखा और बोली – फ्री में ही ?
मैंने कहा – तो बोल मेरी जान क्या चाहिए ?
वो बोली तो कुछ नहीं पर थोड़ा दूर जा कर दीवार की तरफ मुंह करके खड़ी हो गई मैं भी उठ कर उसके पीछे गया और उसे पीछे से ही अपनी बांहों में भर लिया उसे अपनी ओर घुमाया और उसका चेहरा ऊपर को उठा कर अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिये
उस लड़की ने कोई विरोध नहीं किया और मैंने बड़े अच्छे से उसके दोनों होंठ चूसे ना सिर्फ होंठ चूसे बल्कि उसके छोटे छोटे मम्में भी दबा दिये
उसके बाद वो जब मेरी गिरफ्त से छूट कर भागी तो एक बार दरवाजे के पास जा कर रुकी मुड़ के पीछे देखा एक बड़ी सारी स्माइल दी और फिर भाग गई
मैं तो खुशी के मारे बिस्तर पर ही गिर गया मां भी सेट बेटी भी सेट अब मैं अपने मन में दिव्या को चोदने के सपने बुनने लगा
मगर एक बात मुझे अभी तक समझ नहीं आई थी कि दिव्या तो कॉलेज में पढ़ती है उसके साथ बहुत से लड़के भी पढ़ते होंगे तो वो अपने हमउम्र किसी लड़के से क्यों नहीं पटी ? मैं तो उम्र में उसके बाप से भी बड़ा था फिर मुझमे उसे क्या दिखा ?
मगर ये बात ज़रूर थी कि अब मेरे दोनों हाथों में लड्डू थे जब जिसको भी मौका मिलता उसी को मैं पकड़ लेता दो चार दिन में ही मैंने दिव्या के जिस्म के हर अंग को छू कर देख लिया बल्कि एक उसे कहा दिव्या मैं तुम्हें बिल्कुल नंगी देखना चाहता हूं
तो वो बाथरूम में गई और अंदर उसने अपने सारे कपड़े उतारे और फिर थोड़ा सा दरवाजा खोल कर बाहर देखा बाहर कमरे में मैं अकेला था रूपा और रम्या नीचे रसोई में थी मैंने उसे इशारा किया तो दिव्या बाथरूम से निकल कर बिल्कुल मेरे सामने आ गई
19 साल की दिव्या काया वाली खूबसूरत पतली दुबली लड़की मगर उसके खड़े मम्में और कसे हुये चूतड़ मुझे दीवाना बना गए मैंने उसके दोनों मम्मों को और बाकी जिस्म को भी छूकर देखा
मेरा तो लंड तन गया मैंने उसे कहा – दिव्या अब तुम्हें चोदना ही पड़ेगा
वो बोली – पापा आपकी बेटी हूं जब आपका दिल करे वो अपने छोटे छोटे चूतड़ मटकाती वापिस बाथरूम में चली गई उसके बाद वो फिर से कपड़े पहन कर आ गई
मैंने उससे पूछा- दिव्या एक बात बता तू सुंदर हैं तेरी क्लास में भी बहुत से लड़के तुम पर लाइन मारते होंगे फिर तुझे मुझमें क्या दिखा और वैसे भी मेरा तो तेरी मम्मी के साथ चक्कर चल ही रहा है
वो बोली – पापा आप मुझे शुरू से ही अच्छे लगते थे मगर हमारे बीच कुछ कुछ रिश्ता ही अलग बन गया
आप मेरे पापा बन गए और मैं आपकी बेटी बन गई और उस रात जब आप हमारे घर रुके तो आप और मम्मी के बीच जो कुछ हुआ वो हम दोनों बहनों ने सब सुना
सच कहती हूं मम्मी की सिसकारियां और चीखें सुन कर मैं इतनी उत्तेजित हो गई कि मैंने अपने हाथ से खुद को शांत किया मेरा भी अक्सर दिल करता है कि जैसे आप मम्मी के साथ करते हो अगर मेरे साथ करते तो कैसा लगता और ये सोचते सोचते मैं आप पर ही मर मिटी
मैं खुद ये सोच रही थी के आपसे मैं ये बात कैसे कहूं मगर आप ने कह तो ठीक ठीक है मुझे कहने की ज़रूरत ही नहीं पड़ी और आप मेरे बहुत प्यारे वाले पापा हो इस लिए मैं आपसे कुछ नहीं छुपआऊंगी
आप मुझसे कुछ भी पूछ सकते हो कह सकते हो अब जब बेटी ही नंगी हो गई हो नकली बाप को क्या ज़रूरत पड़ी है शराफत का ढोंग करने की
मैंने कहा – मुझसे सेक्स करोगी दिव्या ?
वो बोली – आप कुछ भी कर लो मैं आपको मना नहीं करूंगी
मैंने उसको चेक करने के लिए अपनी जीभ निकाली और सीधी दिव्या में मुंह में डाल दी और मेरी बेटी मेरी जीभ को चूस गई उसके दोनों मम्मों को मैंने कस कस कर दबाया
मगर इससे ज़्यादा मैं उसके साथ और कुछ नहीं कर पा रहा था क्योंकि रूपा तो हमेशा ही घर में होती थी और उसके होते मैं उसकी बेटी को कैसे चोद सकता था
तड़प मैं पूरा रहा था कि कब मौका मिले और कब मैं इस कुंवारी कन्या के कोमल तन का भोग लगाऊं मगर अब रूपा को गले लगाना और चूमना तो मैं दिव्या के सामने भी कर लेता और वो भी देख देख कर मुसकुराती कि कैसे मैं उसकी मां की जवानी को भोग रहा हूं
पता तो उसे भी था कि जब भी मौका मिलता है मैं भी जम कर उसकी मां को चोदता हूं अपनी मां की चीखें सुन कर वो और भी उत्तेजित होती
फिर एक दिन दिव्या का फोन आया – पापा मम्मी और रम्या बाबाजी के दर्शन करने के लिए जा रहे हैं मैंने अपने पेपर का झूठा बहाना लगा दिया और मैं नहीं जा रही मतलब वो घर में अकेली रहेगी
मैं तो खुशी से उछल पड़ा जिस दिन रूपा और रम्या गई मैं खुद उन दोनों को बस चढ़ा कर आया और कह कर आया- तुम चिंता मत करो मैं दिव्या को अपने घर ले जाऊंगा
मगर मैं उन्हें बस चढ़ा कर सबसे पहले रूपा के ही घर गया वहां दिव्या बैठी थी मैंने जाते ही उसे अपनी बांहों में भर लिया ओह मेरी प्यारी बेटी
कह कर मैंने उसके कई सारे चुम्बन ले लिए वो भी बड़ी खुश हुई- अरे पापा ये क्या आप को अधीर हो गए
मैंने कहा – अरे मेरी जान तेरे इस कच्चे कुँवारे जिस्म को देख कर कौन अधीर नहीं होगा
मैंने उसे बहुत चूमा उसके गाल चूस गया उसके होंठ चूस गया फिर मैंने खुद को संभाला कि अरे यार ये कहां भाग चली है शाम तक मेरे पास है आराम से करते हैं
मैंने दिव्या से कहा – बेटा एक काम करो
वो बोली – जी पापा ?
मैंने कहा – आज शाम को हम दोनों मेरे घर चलेंगे
मगर उससे पहले यहां हम वो सब कर लेंगे जो हम इतने दिनों से अपने मन में सोच रहे थे इसलिए मेरी इच्छा है कि अगर शाम तक हम दोनों इस घर में पूरी तरह से नंगे रह कर अपना समय गुजारें ताकि मैं जी भर के तुम्हें अपनी आंखों से नंगी देख सकूँ
वो बोली – आप तो मेरे पापा हो आपकी बात मैं कैसे मना कर सकती हूं
जब वो अपने कपड़े खोलने के लिए उठी तो मैंने उसे रोका और खुद उसी टी शर्ट उसका लोअर अंडर शर्ट और चड्डी उतार कर उसको नंगी किया और फिर खुद भी बिल्कुल नंगा हो गया
बाप बेटी आज दोनों एक दूसरे के सामने नंगे खड़े थे मैंने दिव्या को अपने कलेजे से लगा लिया वो भी मुझसे चिपक गई और मेरा लंड हम दोनों के पेट के बीच में अपनी जगह बना कर ऊपर को उठ रहा था
तब मैंने दिव्या के सारे जिस्म को चूमा उसके मम्में चूसे उसके पेट पीठ जाघें सब जगह चूमा उसकी चूत भी चाटी उसकी गांड भी चाट गया
बेशक मैं सब कुछ आराम से करना चाहता था मगर लालची इंसान को सब्र कहां मैंने उसकी चूत को अपनी अपनी जीभ से खूब चाटा इतना चाटा कि वो पानी छोड़ने लगी और उसकी चूत का नमकीन पानी मैं खूब मज़े ले लेकर चाट लिया
फिर मैंने उससे कहा – बेटा पापा का लंड चूसोगी ?
वो बोली – मैंने ये काम कभी नहीं किया और सच पूछो तो मुझे ये सब गंदा लगता है
मैंने कहा – ठीक है मत चूसो पर अगर दिल किया तो चूस लोगी ?
वो बोली – पता नहीं पापा
मैं जाकर दीवान पर सीधा लेट गया और उसे अपने ऊपर उल्टा लेटा लिया
अब मैंने उसकी दोनों टांगे खोली उसकी चूत को अपने मुंह पर सेट किया और उसकी चूत में जीभ लगाने से पहले मैंने उसे कहा दिव्या बेटा पापा का लंड अपने हाथ में पकड़ो और अपने मुंह के पास रखो अगर दिल किया तो चूस लेना
मुझे पता था कि जब मैं इसकी चूत इतनी चाटूंगा कि ये बहुत सारा पानी छोड़ने लगे तो काम के आवेश में आकर ये लड़की खुद ही मेरा लंड चूस लेगी और हुआ भी यही मुश्किल से मैंने दो तीन मिनट ही उसकी चूत चाटी होगी
उसकी जांघों की जकड़ मेरे चेहरे पर और उसके हाथ की पकड़ मेरे लंड पर कस गई और फिर मुझे हुआ एक कोमल अहसास उसके कोमल गुलाबी होंठों का स्पर्श जब मेरे लंड के टोपे के इर्द गिर्द हुआ तो मेरा मन तो झूम उठा मेरी बेटी मेरे लंड को अपने मुंह में ले चुकी थी
मुझे उसे कुछ कहने की ज़रूरत नहीं पड़ी वो खुद ही अपने अंदाज़ से मेरे लंड को चूसती चाटती रही वो भी पूरी गर्म थी और मैं भी फिर देर किस बात की मैंने उसे रोका उसे दीवान पर सीधा लेटाया और बोला देखो बेटा अब मैं अपना लंड तुम्हारी कुंवारी चूत में डालूँगा
तुम्हारा पहली बार है शायद थोड़ा दर्द हो इसलिए मेरी बेटी अगर दर्द हुआ तो बता देना हम रुक रुक कर लेंगे पर इतना ज़रूर है कि आज मैं अपना पूरा लंड तुम्हारी चूत में उतार देना चाहता हूं तुमने साथ दिया तो ठीक नहीं तो ज़बरदस्ती ही सही
वो बोली – पापा बस आराम से करना ये तो मेरे मुंह में भी बड़ी मुश्किल से घुसा था दर्द तो होगा ही पर मैं बर्दाश्त करने की कोशिश करूंगी
मैंने अपने लंड पर बहुत सारा थूक लगाया उसे अच्छी तरह से गीला किया और फिर दिव्या की कुंवारी गुलाबी चूत पर रखा एक बार तो दिल आया अरे यार क्या बेटी जैसी लड़की की फाड़ रहा है
मगर फिर मैंने एक बार ऊपर को देखा और भगवान से कहा बेशक मैं दुनियां की नज़र में गलत काम कर रहा हूं पर मेरी नज़र में ये ठीक है इस लिए अपनी कृपा बनाए रखना और इस लड़की को सब सहने की शक्ति देना और फिर मैंने अपनी कमर का ज़ोर लगाया
मेरा लंड दिव्या की कुंवारी चूत फाड़ कर अंदर घुस गया उसकी तो जैसे आंखें बाहर आ गई हों मेरे कंधों को पकड़ कर वो सिर्फ एक बार यही बोली उम्म्ह अहह हाय ओह पापा नही मगर तब तक पापा के लंड का टोपा बेटी की चूत में घुस चुका था
वो एकदम से जैसे सदमे में थी मगर मैं पूरी तरह से काम से ग्रसित था उसके दर्द की परवाह किए बिना मैंने और ज़ोर लगाया और अपने लंड को और उसकी चूत में घुसेड़ा
मगर अब दिव्या के मुंह से कोई दर्द भरी चीख नहीं निकली उसकी आंखें फटी हुई और चेहरा फक्क पड़ा था और मैं ज़ोर लगा लगा कर अपने लंड को उसके जिस्म में पिरोने में लगा था
जब तक दिव्या अपने होशो हवस में वापिस आई तब तक मैंने अपना पूरा लंड उसकी चूत में घुसेड़ दिया था मेरे मन में एक अजब सी खुशी थी
शायद 50 साल की उम्र में एक 19 साल की लड़की की सील तोड़ने की या अपनी ही बेटी के साथ सेक्स करके मेरी इनसेस्ट सेक्स की इच्छा पूरी होने की या अपनी ही माशूक की बेटी चोदने की पता नहीं क्या था मगर मैं बहुत खुश था
उस लड़की के दर्द की परवाह नहीं थी मुझे तो सिर्फ अपने ही दिल की ख़ुशी नज़र आ रही थी थोड़ा संभालने के बाद दिव्या बोली पापा ये क्या कर दिया आपने ?
मैंने पूछा – क्या हुआ बेटा ?
वो बोली – पापा ऐसा लग रहा है जैसे किसी ने मुझे बीच में से चीर दिया हो तलवार से काट दिया हो ऐसा लग रहा है जैसे मैं मर जाऊंगी
मैंने कहा – कुछ नहीं होगा बेटा हर लड़की के साथ पहली बार ऐसा ही होता है मगर अगली बार जब तुम सेक्स करोगी तो तुम बहुत एंजॉय करोगी बस ये पहली बार ही है फिर नहीं होगा
वो लड़की बेसुध से मेरे नीचे लेटी रही उसके चेहरे को देख कर लग रहा था कि उसे कुछ भी महसूस नहीं हो रहा है सिवाय दर्द के और मैं एक कामुक लंपट रंडीबाज़ मर्द उस लड़की को किसी वेश्या की तरह भोगने में लगा था
मैं नहीं रुका और उसे चोदता रहा तब तक जब तक मेरा माल नहीं झड़ गया अपना गाढ़ा वीर्य उसके पेट पर गिरा कर मुझे बहुत सुकून मिला बहुत मर्दानगी की फीलिंग आई
उसको उसी हाल में छोड़ कर मैं बाथरूम में गया पहले तो मैंने मूता फिर शीशे के सामने खड़े हो कर खुद को देखा मन में एक विकार आया अरे वाह रे तूने तो साले कच्ची कली फाड़ दी क्या बात है साले तू तो बहुत बड़ा मर्द है रे वो भी 50 की उम्र में
मैं मन ही मन खुश होता वापिस कमरे में आया तो दिव्या उठ कर बाथरूम में गई और काफी देर तक अंदर रही फिर बाहर आई मैंने उसे एक गिलास बोर्नविटा वाला दूध गर्म करके पिलाया और तेल से हल्के हाथों से उसके सारे बदन की मालिश की
तब कहीं वो सहज हुई शाम को करीब 5 बजे मैं उसको लेकर अपने घर गया और बीवी से कह दिया इसकी तबीयत खराब है थोड़ा खयाल रखना मुझे एक बार लगा कि मेरी बीवी उसकी हालात देख कर सब समझ गई
मेरी बीवी ने उसकी अच्छी सेवा की अपनी बेटी की तरह मगर उसे ये नहीं पता था कि उसका पति और दिव्या का नकली बाप ही उसकी इस हालात का जिम्मेदार है
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Vasna Hindi Sex Story :- बीवी की सहेली और बेटी – 1