आप ने vasna hindi sex story के पिछले भाग में पढ़ा कविता और राजेश्वरी ने फटाफट कपड़े अपने उतारे और हमारे सामने ब्रा और पैंटी में खड़ी होकर हमें कहने लगीं आप सबको क्या न्यौता भेजना होगा तब पहनोगी जल्दी करो पार्टी करनी है अब आप vasna hindi sex story में आगे पढ़े
Vasna Hindi Sex Story 20
मैंने देखा कविता और राजेश्वरी ने मैचिंग की ब्रा पैंटी पहनी थी और वो दोनों तो उसी में ज्यादा आकर्षक और कामुक दिख रही थीं
जब कविता ने अपने कपड़े पहने तो मैं हैरान हो गई ये किसी स्कूल की यूनिफार्म थी शर्ट इतनी कसी थी कि मम्में लग रहे थे बटन तोड़कर बाहर निकल आएंगे उसकी स्कर्ट इतनी छोटी थी कि सिर्फ चूतड़ ढके दिख रहे थे वो जब तैयार होकर सामने बैठी तो उसकी पैंटी तो साफ दिख रही थी
यही हाल राजेश्वरी का था उसके बाद रमा ने मुझे कपड़े दिये और खुद भी पहन लिये निर्मला ने पहना और चिड़चिड़ाने लगी और बोली – इसे पहनने से तो अच्छा है कि मैं नंगी ही रह जाऊं और वैसे भी वो लोग हमें नंगी कर ही देंगे तो पहनने का क्या फायदा
इस पर रमा ने उसे समझाया कि ये बस पार्टी के लिये है तुम्हारे मन में भी कोई विचार हो तो बताओ
निर्मला ने रूखे मन से कहा – ठीक है
वो मुझसे बोलने लगी – तुम क्यों नहीं पहन रही हो ?
वैसे निर्मला इन कपड़ों में थोड़ी थुलथुली दिख रही थी और स्कर्ट उसके लिये बहुत अधिक छोटा था जिसके वजह से उसका आधे चूतड़ दिख रहे थे
मैंने तो जीवन में कभी स्कूल जाते हुये ऐसे कपड़े नहीं पहने थे सो मुझे और अधिक अटपटा लग रहा था जब मैंने उस परिधान को पहनने के लिये अपनी साड़ी ब्लाउज और पेटीकोट उतारे तो निर्मला बोली बहुत गठीला बदन है तुम्हारा
मैंने उसे अपनी मुस्कुराहट से उसका धन्यवाद किया और वो कपड़े पहन लिये सच में बहुत ही अजीब कपड़े थे वो पर हम सब जवान लड़कियों की तरह दिख रहे थे जैसे कि कोई अंग्रेज़ी फ़िल्म की लड़कियां हों
हम सबकी जांघें और थोड़े चूतड़ तो दिख ही रहे थे ऊपर की शर्ट तो ऐसे लग रही थी कि अभी ही सबकी फट जायेगी हम सब तैयार होकर हॉल में चले आए तो देखा चारों मर्द पहले से तैयार होकर बैठे थे
उनका हुलिया तो हम सबसे भी ज्यादा हंसाने वाला था सबने पतली डोरी की जांघिया को पहन रखा था और गले में केवल टाई थी हम सब उन्हें देखकर जहां हंसने लगी थी वहीं वो लोग हमें देख अचंभित होने के साथ कामुक भी होने लगे थे
सब लोग हमें बारी बारी ललचाई नजरों से निहार रहे थे तभी कमलनाथ ने कहा आज का खेल मैं शुरू करूंगा वो भीतर से 5 प्लास्टिक के छोटे छोटे गमले लाया जिनमें रेत भरी हुयी थी
उसने वो गमले हम पांचों महिलाओं के हाथ में देकर कहा- तो आज का खेल ये है कि सभी महिलाएं अपने अपने गमलों के ऊपर करीब आधे फुट ऊंचाई से बैठ पेशाब करेंगी उसके बाद इस खेल का राज खोला जायेगा
मुझे बड़ा अजीब लगा पर बाकी की महिलाएं उत्सुक दिखीं और आपस में बातें कानाफूसी करते हुये पेशाब करने की तैयारी करने लगीं सबने पहले ही बहुत पानी मदिरा और ठंडा पिया था इस वजह से हम सबको ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ रही थी
हम सबने अपनी अपनी पैंटी घुटनों तक सरकाया और एक कतार में गमलों के ऊपर बैठ गये हम सब जब पेशाब करने जा रही थी तो कमलनाथ ने कहा सबका पेशाब एक धार में होना चाहिये और रेत के बीच में एक ही जगह गिरना चाहिये इधर उधर धार नहीं जाना चाहिये
हम सब उसके दिशा निर्देश अनुसार पेशाब करने लगी और 2-3 मिनट में सब उठकर फिर अपनी अपनी पैंटी पहन सोफे पे आ गई अब वो राज जानने की जिज्ञासा सब में थी जिसके वजह से हमने ये सब किया था
कमलनाथ ने एक मापने के लिये एक स्केल ली और हर एक गमले में उसे डालकर कुछ नापने लगा थोड़ी देर के बाद उसने हम सबके लिये एक परिणाम घोषित किया
उसने बताया – राजेश्वरी 080 इंच सारिका 086 इंच रमा 090 इंच निर्मला 077 इंच और अंत में कविता 175 इंच
हम सब उसके कहने का मतलब नहीं समझ पा रहे थे इस वजह सबने उससे मतलब पूछना शुरू कर दिया तब उसने बताया कि ये गहराई वो है जो रेत में पेशाब की तेज धार से बनी है
हम सबने पूछा कि उससे क्या पता चलता है तब उसने बताया कि इससे ये पता चलता है कि किस औरत में ज्यादा दम है
उस पर निर्मला ने पूछा – वो कैसे ?
तो उसने बताया कि जिसकी चूत की नसें और मांसपेशियां अधिक ताकतवर होती हैं वो ज्यादा दबाव से पेशाब कर सकती है और रेत में ज्यादा गहरी छाप बना सकती है
उसका सीधे सीधे ये कहना था कि हम पांचों में कविता की चूत सबसे कसी हुयी थी इस बात पर हम सबको बहुत बुरा लगा कि इस तरह का भेदभाव क्यों पैदा करना जब सब एक मन से यहां आए हुये हैं
सब क्रोधित भी होने लगे पर कमलनाथ ने सब से माफी मांगते हुये इसे एक तरह का केवल खेल बता कर स्थिति नियंत्रित कर ली वैसे जो भी हो हम सभी महिलाओं में कविता ही सबसे कम उम्र की थी तो स्वाभाविक है कि उसकी नसें और मांसपेशियां हम बाकी की महिलाओं से थोड़ी ज्यादा मजबूत और सख्त होंगी ही
अभी 9:30 बज चुके थे और अब खेल का दूसरा पड़ाव सामने आया कविता ने पिछले खेल का तर्क देते हुये कहा कि यदि उसकी चूत सबसे ज्यादा कसी हुयी है तो उसी मर्द का लंड भी इसमें आज की रात सबसे पहले जायेगा जो चारों में से ज्यादा ताकतवर होगा
अब इसके बाद बाकी के मर्द ये सोच में पड़ गये कि कैसे अपनी अपनी योग्यता साबित करें थोड़ी देर चिंतन और मंथन के बाद एक नतीजे पे पहुंचा गया पर जहां औरतों की बारी होती है वहां तो परीक्षा लेने में औरतें आगे होती ही हैं
मर्दो को दो पड़ाव पार करने की चुनौती दी गई निर्मला जहां सबसे अधिक प्रौढ़ लग रही थी वही उसका मन शैतानी से भी भरा हुआ था उसने ही पहले पड़ाव का चयन किया
निर्मला ने वहां रखी खाली बियर की बोतलों में पानी भर दिया और फिर उसे रस्सी से बांध दिया अब सभी मर्दो को करना ये था कि उस बोतल को लंड से बांध कर करीब 5 मिनट तक पूरे कमरे में घूमना था
सभी अपनी अपनी जांघिया निकाल तैयार हो गये और फिर सबसे पहले रवि ने शुरूवात की वो इस परीक्षा में पास हो गया इसके बाद कांतिलाल ने जो कि पास हो गया फिर राजशेखर ने और वो भी पास हो गया
पर अंत में जब कमलनाथ की बारी आई तो वो अंतिम पल में हार मान गया उससे बोतल का वजन सहा नहीं गया शुरूआत उसने एक खेल से की थी मगर जब कमलनाथ की बारी आई तो वो पहले ही चरण में विफल हो गया
कमलनाथ के लिये परीक्षा समाप्त हो चुकी थी अब बाकी के तीन मर्दो को अगली परीक्षा के लिये जाना था अब उन्हें ये काम दिया गया कि सभी मर्दो को अपना अपना लंड उत्तेजित करना है और फिर उसी अवस्था में पेशाब करना है
जिस किसी का भी लंड मूत्र निकलते हुये ढीला पड़ने लगेगा वो हार जायेगा ये राजेश्वरी का दिमाग था हम सब जानते थे कि ऐसा करना असंभव सा है
फिर भी हमने उन्हें ये काम दिया सभी मर्द तैयार हो गये और इसमें हम महिलाएं उनका कोई साथ नहीं देने वाली थीं सबने खुद से अपना अपना लंड हाथ से पकड़ हिलाना शुरू किया हम सब जिस वेशवूषा में थे
उससे तो वे सारे मर्द पहले से ही थोड़े बहुत उत्तेजित थे ही इस वजह से उन्हें लंड कड़क करने में ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी फिर प्रतिस्पर्धा का खेल शुरू हुआ
तीनों ने बहुत ज़ोर लगाया पर किसी के लिये ऐसी अवस्था में पेशाब करना संभव नहीं था जब जब किसी ने भी ज़ोर लगाया उसका लंड स्थूल पड़ने लगता आधे घंटे तक प्रयास करने के बाद आखिरकार सबने हार मान ली और सब बैठ गये
फिर खाने पीने के साथ नाच गाना होने लगा सभी धीरे धीरे कामुक महसूस करने लगे और फिर तय हुआ कि जिसे संभोग की इच्छा हो रही हो वो किसी के साथ भी संभोग कर सकता है
राजशेखर ने मेरे साथ कभी संभोग नहीं किया था तो उसने सबसे पहले मुझसे ही पूछा मैं शुरू में तो थोड़ा शरमाई पर बाकी औरतों के कहने पर मैंने हां बोल दिया
पर तभी कांतिलाल बोल पड़ा – ऐसा नहीं होगा हर कोई हर किसी के साथ मजा करेगा
तो ये तय हुआ कि हर कोई थोड़ी थोड़ी देर संभोग करेगा फिर साथियों की बदली होगी इसलिये सबके नाम की पर्ची बनाई गयी और एक कटोरे में सभी मर्दो के नाम की दो दो पर्ची बनाई गयी क्योंकि मर्द चार थे और औरतें 5 थीं
ऐसा इसलिये भी किया गया ताकि पहले चार महिलाओं के हाथ में जो पर्ची आएगी वो उन मर्दो के साथ पहले संभोग करेंगी फिर जब मैं पर्ची उठाऊंगी तो उन्हीं चारों मर्दो में से किसी एक के साथ संभोग करूंगी
मतलब जिस मर्द के नाम की पर्ची मेरे हाथ में होगी वो मेरे और उन चारों औरतों में से किसी एक के साथ संभोग करेगा तो इस प्रकार सबने पर्ची उठायी और फिर जोड़ी बन गयी
रमा और कमलनाथ
रवि और निर्मला
राजशेखर और कविता
कांतिलाल और राजेश्वरी की जोड़ी
अंत में मैंने पर्ची खोली तो उसमें फिर से रवि का नाम निकला सबने एक आखिरी पैग उठाया और फिर अपने अपने जोड़ीदार के साथ हो गये सभी मर्दो ने मिलकर सोफे वहां से हटा दिए और जमीन पर काफी जगह बना ली
रवि निर्मला और मेरा हाथ पकड़ नीचे जमीन पर बैठ गया रवि मेरे और निर्मला के बीच बैठ गया पहले तो वो मेरे मम्मों को दबाने लगा और फिर मेरे होंठों को चूमने लगा थोड़ी देर मुझे चूमने के बाद वो निर्मला के मम्में दबाते हुये उसके होंठों को चूमने लगा
निर्मला भी उसका साथ देते हुये उसके होंठों को चूसने लगी उधर मैंने देखा राजशेखर ने थोड़ी देर कविता को चूमने के बाद खड़े खड़े में ही उसकी स्कर्ट उठाकर उसकी पैंटी उतार दी और खुद घुटनों के बल खड़े होकर उसकी टांगें फैला उसकी चूत को चूमने लगा
कविता जवान थी उसकी चूत किसी कुंवारी लड़की के जैसे थी एकदम गोरी चूत की फांकें चिपकी हुईं और किनारे फूले हुये मानो उसने कभी संभोग किया ही नहीं था
मेरे एक तरफ रमा कमलनाथ के साथ व्यस्त हो गयी दोनों काफी उत्तेजक तरीके से एक दूसरे के बदन को टटोलते हुये होंठों से होंठ मिला कर एक दूसरे का रस पी रहे थे
फिर सामने की ओर राजेश्वरी को कांतिलाल ने पूरी नंगी कर दिया था और उसे चूम रहा था राजेश्वरी का बदन बहुत सुंदर था उसे देखकर लग रहा था कि वो भी रमा की तरह ही बहुत ध्यान देती होगी
थोड़ी देर के बाद निर्मला उठी और अपनी पैंटी निकाल कर स्कर्ट ऊपर उठाते हुये अपनी दोनों टांगें फैला दीं और अपनी चूत रवि के मुंह में लगा दी
रवि ने निर्मला के विशाल चूतड़ों को दोनों हाथों से थपथपाया और अपना मुंह निर्मला की चूत से चिपका कर उसे चाटने लगा ऐसा कामुक माहौल देख कर मेरे भीतर चिंगारी सी फूटने लगी
रवि ने कुछ देर के बाद मेरा हाथ पकड़ कर अपने लंड के ऊपर रखा और मुझे उसे हिलाने का संकेत दिया मैंने उसके जांघिये को सरकाया और उसके लंड को बाहर निकाल लिया उसका लंड उत्तेजित था पर अभी उसमें संभोग करने लायक कड़कपन नहीं था
मैंने उसे हिलाना शुरू किया कुछ देर के बाद वो एकदम कड़क हो गया इधर राजशेखर ने अपनी अवस्था बदल ली थी और अब कविता उसका लंड चूस रही थी उधर कमलनाथ जमीन पे लेट गया था और रमा उसके ऊपर उल्टी दिशा में चढ़ी हुई थी
एक तरफ कमलनाथ उसकी चूत चाट रहा था और दूसरी तरफ रमा उसका लंड चूस रही थी कांतिलाल ने तो एक तरफ राजेश्वरी को परेशान करके रख दिया था
वो कभी राजेश्वरी को सीधा लिटा कर चूत चूसता तो कभी कुतिया की तरह झुका कर पीछे से तो कभी उसके मम्मों को मसलता इससे उस कमरे में राजेश्वरी की कराह गूंज रही थीं
कुछ देर के बाद कांतिलाल ने राजेश्वरी को घुटनों के बल खड़ा कर दिया और खुद खड़ा होकर उसका सिर पकड़ कर अपना लंड जांघिये से बाहर निकाला और उसके मुंह में ठूंस दिया फिर तेज़ी से अपनी कमर आगे पीछे करते हुये उसके मुंह में लंड अंदर बाहर करने लगा
देखने में उसकी ये हरकत बहुत क्रूरतापूर्ण थी मगर राजेश्वरी को आनंद आ रहा होगा तभी वो उसका साथ दे रही थी थोड़ी देर बाद निर्मला कराहते हुये झटके खाने लगी मैं समझ गयी कि वो झड़ गयी
फिर क्या था उसने अपनी चूत को रवि के मुंह से हटाया और नीचे बैठ कर उसका लंड गप से मुंह में भर लिया इतनी उत्तेजक महिला मैंने कभी नहीं देखी थी निर्मला तो कामोत्तेजना से भरी दिख रही थी
निर्मला जब उसका लंड चूसने में व्यस्त हो गयी तो रवि ने मुझे हाथों से पकड़ कर उठने का संकेत दिया और इशारे से मुझे खड़े होकर अपनी चूत उसके मुंह में देने को कहा
मेरे भीतर भी तो अब वासना की चिंगारी भड़क चुकी थी और जब चमड़ी की भूख हो तो कोई भी इंसान निर्लज्ज हो ही जाता है
मैं भी निर्लज्जता से खड़ी हो गयी और स्कर्ट का हुक खोल कर मैंने अपने मांसल चूतड़ों को आज़ाद कर दिया मैंने अपनी दोनों मोटी मोटी जांघों को फैलाया और टांगें रवि के अगल बगल कर अपनी चूत को उसके मुंह के सामने अड़ा दिया
उसने दोनों हाथों से मेरे चूतड़ों को सहलाया फिर पैंटी पर मेरी चूत के उभार को चूमने लगा उसके चूमने से मैं और उत्तेजित होने लगी और मैंने एक हाथ से उसके सिर को सहारा दे दिया
मैंने दूसरे हाथ से अपनी पैंटी एक किनारे कर उसे अपनी चूत के स्पष्ट स्पर्श दे दिया मेरी फूली गद्देदार चूत की पंखुड़ियों को पाते ही उसने उन्हें बारी बारी चाटा और फिर अपनी जीभ चूत की दरार में ऊपर नीचे करके मेरी चूत का स्वाद लेने लगा
उसके इस तरह के व्यवहार से मैं और उत्तेजित होती चली गयी और अपनी कमर उसकी तरफ धकेलते हुये अपनी चूत का दबाव उसके होंठों पर बढ़ाती चली गयी
मेरे अगल बगल भी बाकी के लोग धीरे धीरे एक दूसरे के अंगों को सहलाते चूसते चाटते हुये एक दूसरे को संभोग के लिये तैयार करने लगे थे ये किसी विदेशी अंग्रेज़ी फ़िल्म से कम दृश्य नहीं था जिसमें लोग सामूहिक रूप से संभोग क्रिया में लिप्त थे
रवि की जुबान में तो जैसे जादू था जिस प्रकार वो अपनी जुबान से मेरी चूत के साथ खिलवाड़ कर रहा था मुझे ऐसा लग रहा था कि ये पल कभी ना खत्म हो उसने मेरे भीतर एक अजीब सी गुदगुदाहट के साथ कामुकता भर दी थी
इसी वजह से मेरे अगल बगल क्या हो रहा मुझे उसकी ना कोई चिंता थी ना कुछ नजर आ रहा था मेरी व्याकुलता इतनी बढ़ गयी थी कि मैं रह रह के झटके खा रही थी और ऐसा प्रतीत हो रहा था कि जैसे पानी का फव्वारा उसके मुंह में ही छोड़ दूंगी
बाकी कहानी hindi sex story के अगले भाग में
Hindi Sex Story :- काम वासना की आग – 21