आप ने vasna hindi sex story के पिछले भाग में पढ़ा वो वैसे ही मेरे जांघों के बीच अपने घुटनों पर खड़े होकर लंड हाथ से हिलाता हुआ इंतजार करने लगा शायद वो भी थक चुका था इसी वजह से उसने थोड़ी रहम दिखाई अब आप vasna hindi sex story में आगे पढ़े
Vasna Hindi Sex Story 16
थोड़ी राहत मिलते ही उसने मुझसे पूछा और मैंने उसे आने को कहा वो मेरे ऊपर झुक कर अपना लंड मेरी चूत में घुसाते हुये पूरी तरह से मेरे ऊपर आ गया उसने अपने घुटने को जांघों तक मोड़ लिया था और मैंने भी अपनी टांग उसकी जांघों पर चढ़ा दिया था
उसने धीरे धीरे से पूरा का पूरा लंड मेरी चूत के भीतर घुसा दिया था और उसके सुपाड़े का स्पर्श मैं अपनी बच्चेदानी में महसूस करने लगी थी उसने अपना पूरा शरीर मेरे ऊपर चढ़ा दिया था और हम दोनों के चेहरे एकदम आमने सामने थे
मैंने उसके गले में हाथ डाल दिया और उसने मुझे कंधों से पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया अब उसने अपनी कमर को आगे पीछे करना शुरू कर दिया थोड़ा आराम के वजह से जब मैं अपनी चूत में लंड का घर्षण महसूस करने लगी तो अच्छा लगने लगा था
रवि के धक्के आराम और धीमी गति के थे जिससे मैं समझ गयी थी कि थकान की वजह से जोश और उत्तेजना दोनों ही कम हो गये थे पर इतना तो मेरे दिमाग में था कि शायद रवि काफी देर तक संभोग करने के बाद ही झड़ेगा
उधर कमलनाथ पूरा संतुष्ट दिख रहा था और वो मदिरा का स्वाद लेने में मग्न था दूसरी तरफ रमा कांतिलाल और राजशेखर काम वासना की आग में जलते दिख रहे थे
जैसे जैसे संभोग की क्रिया अपने चरम की ओर अग्रसर होती जा रही थी वैसे वैसे हम दोनों को अब आनंद की अनुभूति होने लगी थी
रवि अब केवल धक्के ही नहीं मार रहा था बल्कि धक्कों के साथ साथ मेरे शरीर के अंगों को सहलाकर दबा और मसल कर उनका आनंद ले रहा था
वहीं मेरी उत्तेजना भी इस तरह बढ़ चुकी थी कि उसकी हर हरकत का मैं खुले मन से स्वागत करने लगी और साथ ही संभोग में बराबर की भागीदारी देने लगी थी
रवि के धक्कों में अब फिर से धीरे धीरे तीव्रता आने लगी और मुझसे भी जहां तक हो सकता था वहां तक अपनी कमर उठा कर उसके लंड को अपनी चूत में आने देती थी कोई 20 मिनट के करीब हो चुके थे और हम दोनों पसीने पसीने हो गये थे
उधर मेरी चूत से झाग सा बहता हुआ मुझे महसूस होने लगा था दोनों अब एक दूसरे को पूरी ताकत के साथ पकड़ कर लंबी लंबी सांस ले रहे थे हम दोनों हांफते हुये अपने अपने चूतड़ हिला हिला चूत में लंड रगड़ते हुये आगे बढ़ने लगे
मैं अब बहुत जल्द झड़ने वाली थी और ऐसा लग रहा था मानो रवि भी किसी पल पिचकारी छोड़ देगा मेरी चूत बहुत चिपचिपी और गीली हो गयी थी जिसकी वजह से जब जब रवि लंड बाहर कर अन्दर धकेलता तो मेरी चूत से छप छप की आवाज आती
कुछ पल और संभोग करते हुये रवि के धक्के दुगुनी तेज़ी से लगने लगे और उसने अचानक धक्के मारते हुये ही मुझे पकड़ कर करवट ले ली उसने मुझे अपने ऊपर चढ़ा लिया वो इस तरह से पलटा था कि उसका लंड मेरी चूत से बाहर नहीं आया
मैं भी बहुत गर्म थी सो मुझे किसी तरह की परेशानी नहीं हुयी और मैं बिना रुके धक्के लगाने लगी रवि ने भी मेरे चूतड़ पकड़ नीचे से जोर लगाना शुरू कर दिए अब तो आनंद दोगुनी बढ़ गयी और चरम सुख ऐसा लगने लगा जैसे सामने ही है
मेरे जांघों में कम्पकपी सी होने लगी और मैं रवि के सीने से चिपक कर अपने भारी भरकम चूतड़ ऊपर नीचे करते हुये धक्के देने लगी मेरी नाभि से करंट सा निकलने लगा और मेरी चूत तक दौड़ लगाने लगा
मैं अब पूरे जोश में आ गयी और मेरे भीतर ऐसा लगने लगा जैसे ऊर्जा का भंडार फूट पड़ा हो मैं तेज़ी से धक्के मारने लगी और रवि भी अपने चूतड़ तेज़ी से उछालने लगा मैं समझ गयी कि रवि भी झड़ने वाला है
तभी मैं अचानक से चीख पड़ी – उम्म्ह अहह हय ओह माँ मर गयी मैं झटके मारते हुये झड़ने लगी मेरी चूत की मांसपेशियां अकड़ने लगीं और चूत की दीवारों से तेज़ तरल रिसने लगा
इधर जब तक मैंने 3 से 4 धक्के मारे थे रवि भी मेरे चूतड़ और ज्यादा ताकत से पकड़ गुर्राने लगा और फिर एक तेज़ गर्म लावा सी मेरी चूत के बच्चेदानी से टकराया
बस अब अंत नजदीक था मैं जहां जहां धक्के मार उसे पकड़ चिपकी रही वहीं वो तब तक गुर्राते हुये झटके मारता रहा जब तक उसने अपनी वीर्य की थैली खाली ना कर दी
मैं उसके वार झेलती हुयी उसके ऊपर लेटी ढीली पड़ने लगी उसने भी अपनी आखिरी बूंद छोड़ कर शांत लेटा रहा मैं अब महसूस करने लगी कि लंड मेरी चूत के भीतर ढीला हो रहा है
जैसे जैसे लंड सामान्य अवस्था में आता गया वीर्य टिप टिप कर मेरी चूत से टपकने लगा दोनों पूरी तरह सुस्ताने के बाद अलग हुये तो एक दूसरे को देख ये लगा कि हमने काफी मेहनत की है
हम दोनों पसीने में लथपथ थे और अलग होने के बाद भी हम लंबी लंबी सांस ले रहे थे मैं उठकर नंगी ही स्नानागार में चली गयी और खुद को साफ करने लगी पर जाते हुये समय मैंने देखा कि कांतिलाल और राजशेखर के चेहरे पर वासना की भूख थी
खुद को साफ कर मैंने रमा से कहा – मैडम मेरे कपड़े तो दे दीजिए
उधर से जवाब आया – अरे आजा तौलिया लपेटकर खेल अभी बाकी है
यह सुन मेरे मन में ख्याल आया कि आज रमा मुझे मरवा के ही रहेगी इसलिए एक बार सोचा कि सब कह दूँ
मैंने कहा – अब और नहीं होगा मुझे घर भी जाना है रात हो जायेगी तो परेशानी होगी
रमा मेरे पास आयी तो मैंने उससे बोला कि सबको मेरी सच्चाई बता दे पर वो जिद पर अड़ी थी कि कल सबको बतायेगी वो चाह रही थी कि एक बार कांतिलाल और राजशेखर भी मेरे साथ संभोग कर लें
पर मैं बहुत थक गयी थी इसलिए मैं उससे विनती करने लगी कि अब और नहीं हो पाएगा लेकिन वो जिद पर अड़ी थी तब मैंने उससे कहा कि मैं खुद सबको बता देती हूं
अब रमा मान गयी और बोली कि खाना खाने के बाद सब अपने अपने कमरे में चले जाएंगे और वो आज राजशेखर के साथ सोएगी उसने मुझे कांतिलाल के साथ ही रहने को कहा और फिर मुझे एक नए तरह के कपड़े दे दिए
रमा सबको खाने के लिए बोल बाहर चली गयी और उसने मेरे लिए कमरे में ही व्यवस्था कर दी मैं रमा के दिए हुये वस्त्र पहन तैयार हो गयी हालांकि ऐसे कपड़े मैंने पहले कभी पहने नहीं थे पर ये मुझ पर जंच रहे थे
नाइटी के ही जैसी मगर छोटी सी थी उसके ऊपर से पहनने का गाउन भी था मैं खाना खाकर आराम करने लगी और कब मेरी आंख लगी पता ही नहीं चला ठंडी हवा और गद्देदार बिस्तर बहुत ही आरामदायक था
ठंड की वजह से बार बार पेशाब आने की बीमारी ने मुझे बेचैन कर दिया नींद से जगने पर आधी नींद में ही मैं पेशाब करने चल पड़ी पेशाब करके मेरी नींद पूरी तरह से खुल गयी थी
जब मैंने वापस आकर देखा तो मुझे सामने बिस्तर पर कांतिलाल जांघिये में मुस्कुराता हुआ दिखा जब मैंने समय देखा तो एहसास हुआ कि मैं ज्यादा देर नहीं सो सकी थी अभी 11 ही बज रहे थे संभोग की संतुष्टि और थकान ने मुझे सुला दिया था
पर अब कांतिलाल के रूप में एक और पड़ाव मेरे सामने आ गया था उसके मुस्कुराने की वजह से मैंने भी मुस्कुराते हुये उसका उत्तर दिया फिर उसने मुझे पास बैठने को कहा और फिर हम बातें करने लगे
उसने मेरे कामुक बदन की तारीफ करते हुये कहा – तुम पिछले बार से कहीं अधिक कामुक सुंदर और खुली हुयी लग रही हो
मैंने भी उसे उत्तर दिया – रमा ने ही मेरा सब कायाकल्प किया है वरना मैं तो पहले की ही तरह हूं
फिर उसने मेरे किरदार की सराहना करनी शुरू कर दी और कहा कि उन तीनों को जरा भी शक नहीं हुआ और अगले दिन जब पता चलेगा तो सब चकित रह जाएंगे
हम दोनों करीब एक साल बाद मिले थे और बातें करते करते काफी खुल चुके थे हालांकि उसने मेरे साथ पहले भी संभोग किया था पर उस समय मैं इतना अधिक खुली हुयी नहीं थी
बातें करते हुये हम एक दूसरे के आमने सामने हो गये थे और मैं एक टांग मोड़कर बैठ गयी लेकिन मुझे जरा भी अंदेशा नहीं था कि ये वस्त्र एक तरफ से कमर के पास से नीचे तक कटा हुआ था और मैंने पैंटी भी नहीं पहनी थी
सोने के कारण गाउन तो मैं पहले ही निकाल चुकी थी जिसकी वजह से मेरे मम्मों का अधिकांश हिस्सा दिख रहा था कांतिलाल की नजर शुरू से ही मेरे मम्मों पर थी जबकि कुछ देर पहले उसने मुझे ना सिर्फ नंगी देखा था बल्कि अपने मित्रों के साथ कामक्रीड़ा में संलग्न भी देखा था
शायद वस्त्रों का एक अलग प्रभाव पड़ता है और इसी वजह से मर्द स्त्रियों को कामुक वस्त्र में देखना पसंद करते हैं मैंने ध्यान दिया कि कांतिलाल बात करते हुये बीच बीच में मेरी जांघों के पास देख रहा
मैंने जब अपने नीचे देखा तो उस वस्त्र के कटे हुये हिस्से की वजह से मेरी एक टांग बिल्कुल नंगी दिख रही थी और एक तरफ से मेरी चूत के बाल भी दिख रहे थे
मैं चाहा कि उन्हें चुपके से छुपा लूं पर कांतिलाल ने टोक दिया क्यों छुपा रही हो सारिका जी अब हम दोनों के बीच क्या शर्म और लज्जा
पता नहीं हम दोनों के बीच पति पत्नी जैसे संबंध भी बन चुके थे पर बाकी और मित्रों की तरह हम आज भी एक दूसरे का नाम लेने के साथ जी जरूर लगाते थे खैर उसकी विनती करने के बाद भी मैं मुस्कुराते हुये अपनी चूत को छुपाने के प्रयास करती रही
कांतिलाल वैसे भी केवल जांघिये में था उसके शौक की क्या बात करूं जैसा उसका जांघिया था वैसा तो आजकल के नौजवान भी नहीं पहनते
उसकी जांघिया को देख कर एक पल के लिए कोई भी कह सकता था कि वो औरतों वाली पैंटी है या मर्द के लिए भी ऐसे चलती है ये सच में पुरुषों का अधोवस्त्र ही था
हम दोनों यूं ही बातें करते हुये समय बिताने लगे और मैं बार बार अपनी चूत छुपाने के प्रयास करती रही मैं इतना तो समझ गयी थी कि कांतिलाल मेरा भोग किए बगैर सोएगा नहीं फिर भी मैं जान बूझकर समय टाल रही थी कि नशे में वो सो जाएगा
पर ये मेरी भूल थी जिसके सिर पर किसी महिला के जिस्म का नशा चढ़ा हो उसे और कोई नशा क्या चढ़ेगा धीरे धीरे कांतिलाल मेरे नजदीक आ गया और तकिए पर सिर रख बातें करने लगा उसने अब मेरे बदन की तारीफ मुझे छू छू कर करना शुरू कर दिया
कभी मेरे बालों पर हाथ फेरते हुये उन्हें रेशम कहता कभी बांहों पर हाथ फेर कहता कि आज ये कितनी मखमली लग रही है कभी मेरी जांघों पर हाथ फेर कर कहता कि कितनी गोरी चिकनी और गठीली जांघ हैं
थोड़ी देर बाद उसने मुझे अपनी ओर खींच कर बगल में लिटा लिया और मेरे होंठों पर उंगलियां फेरने लगा मैं ना तो उसे हां कहना चाह रही थी और ना ही ना कर पा रही थी
मेरा किसी तरह का विरोध ना पाकर वो आगे बढ़ गया वो मेरे गले में उंगलियां फेरते हुये मेरे मम्मों तक जाने लगा उसके हाथ मेरे मम्मों पर पड़ते ही मैंने झट से उसका हाथ पकड़ लिया और बोली प्लीज और नहीं मैं बहुत थक गयी हूं
पर कांतिलाल तो बहुत उत्तेजित लग रहा था मुझे इस रूप में देख कर वो कहां मानने वाला था उसने मुझसे कहा कोई जल्दी नहीं है हमारे पास बहुत समय है कल कोई काम भी नहीं है
यह बोलकर उसने मुझे कमर से पकड़ अपनी ओर खींचते हुये अपने सीने से मुझे लगा लिया उसकी आंखों में कामवासना की आग दिखने लगी थी
मेरा कांतिलाल के साथ पहले का भी सेक्स अनुभव था तो मैं जानती थी कि वो जल्दबाजी नहीं करेगा बल्कि मुझे पूर्ण रूप से उत्तेजित करके संभोग के लिये बाध्य कर देगा
इन सब बातों को जानने के बाद भी मैं उसके वश में होती जा रही थी पता नहीं क्यों इससे पहले उन 3 मर्दों से मुझे नहीं मिला था शायद उसकी कमी का मुझे अफसोस था और कांतिलाल से मेरे मन में कोई उम्मीद थी
इसी वजह से मैं उसकी बांहों के जाल में स्वयं फंसती चली जा रही थी मैं और कांतिलाल अब एक दूसरे के सीने से चिपक गए थे और वो मुझे हौले हौले से उत्तेजित करने का प्रयास करने लगा
उसने मेरी आंखों में देखता हुआ मेरी रानों बांहों कमर और चूतड़ सहलाने शुरू कर दिया वो मुझे ऐसे देखने लगा जैसे वो मेरा इन्तजार कर रहा था
उसके मादक छुवन से मेरे बदन में ऐसा लग रहा था मानो हज़ारों चीटियां मेरे बदन में रेंग रही हों मेरे जिस्म में एक मीठी सिहरन सी हो रही थी काफी देर इसी तरह मुझे टटोलने के बाद वो अपने होंठ मेरे होंठों के करीब ले आया पर मैं जस की तस रही
कांतिलाल भले कितना भी सहनशील क्यों ना होता मगर बाकी मर्दों की तरह उसकी भी एक सीमा थी और अब उससे बर्दाश्त करना मुश्किल था वो भी जान चुका था कि मुझे कैसे अपने वश में करना है क्योंकि उसने मुझे पहली मुलाकात के समय भरपूर पढ़ा था
उसने खुद ही अपने होंठ मेरे होंठों से चिपका दिये और मुझे चूमने लगा मैं खुद को रोकने का प्रयास करती रही कि शायद मेरे ठंडे और नकारात्मक व्यवहार से उसकी उत्तेजना कम हो जाये
पर वो रुक नहीं रहा था बल्कि और अधिक उत्तेजना से मेरे होंठों को चूसते चूमते हुये मेरे मम्मों को दबाने सहलाने लगा था काफी देर खुद को रोकने के बाद मेरी इंद्रियां कमज़ोर पड़ने लगीं और आखिरकार मैं उसके आगे हार ही गयी
उसने मेरे भीतर वासना की चिंगारी फ़िर से भड़काने में सफलता पा ली थी अब मैं अपने भीतर नए तरह का जोश ताकत और कामोत्तेजना महसूस करने लगी थी मैंने भी उसे पकड़ कर चुम्बन में साथ देते हुये उसके होंठों को बारी बारी से चूसने लगी
जब वो मेरी ऊपर के होंठ चूसता तो मैं उसके नीचे का होंठ चूसती और जब वो मेरा नीचे का होंठ चूसता तो मैं उसके ऊपर का होंठ चूसने लगती मेरे भीतर एक नया रोमांच की अपेक्षा जगी हुई थी इस तरह चुम्बन का एक लंबा अधिवेशन चला
हम दोनों कभी जुबान को चूसते तो कभी होंठों को और एक दूसरे से ऐसे लिपट लिपट कर अंगों को सहलाते प्यार करते जैसे एक दूसरे में समा जाना चाहते हों धीरे धीरे ऐसे चूमते सहलाते हुये कांतिलाल ने मुझे अपने ऊपर चढ़ा लिया और फिर से लंबे चुम्बन और आलंडन का दौर शुरू हो गया
वो एक हाथ से मेरे एक मम्में को क्रूरता से मसल रहा था तो दूसरे हाथ से मेरे चूतड़ मसल रहा था मेरी उत्तेजना इस कदर बढ़ गयी थी कि उसके मसलने से जो दर्द हो रहा था वो भी आनंद प्रदान कर रहा था
बाकी कहानी hindi sex story के अगले भाग में
Hindi Sex Story :- काम वासना की आग – 17